ग्वालियर : हजार बिस्तर वाले सरकारी अस्पताल में सिस्टम की लापरवाही और अमानवीयता का मामला सामने आया है. एक युवक की मौत के बाद पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों ने परिजनों से कफन के लिए 500 रुपये वसूल किए.दरअसल, मुरैना निवासी कृष्णा श्रीवास (19) अपनी चाची को बाइक पर ले जा रहा था, तभी एक वाहन की टक्कर से दोनों घायल हो गए. चाची ने 1 सितंबर को इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जबकि गंभीर रूप से घायल कृष्णा को ग्वालियर के हजार बिस्तर वाले जयारोग्य अस्पताल रेफर किया गया. कृष्णा के पैर में फ्रैक्चर था, लेकिन 3 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई.
मृतक के मामा और BJP पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी पवन सेन ने आरोप लगाया कि उनके भांजे की मौत सरकारी सिस्टम की लापरवाही के कारण हुई. पैर में फ्रैक्चर होने के बावजूद डॉक्टरों ने दो दिन बाद प्लास्टर चढ़ाया. बार बार बोलने के बाद भी अस्पताल में कोई सीनियर डॉक्टर विजिट पर नहीं आया, सारा इलाज जूनियर डॉक्टरों के भरोसे था. पवन सेन ने बताया कि उन्होंने अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुधीर सक्सेना को इसकी जानकारी दी और कहा कि यदि इलाज संभव नहीं है, तो घायल को निजी अस्पताल में भर्ती करवाने की अनुमति दी जाए. लेकिन अधीक्षक ने बेहतर इलाज का भरोसा दिया. इस लापरवाही ने कृष्णा की जान ले ली.
बीजेपी नेता पवन सेन ने फेसबुक के जरिए सूबे के मुख्यमंत्री मोहन यादव को लिखा, "सड़क दुर्घटना में मृतक से कफन के पैसे मत मांगो सरकार. मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, ध्यान दीजिए. सरकारी डॉक्टरों की बंगलों पर दुकान बंद करवाइए. ग्वालियर ट्रॉमा सेंटर का भगवान मालिक है. होटल, फैक्ट्री से पहले अस्पताल सुधारने पर ध्यान दीजिए."परिजनों का दर्द तब और बढ़ गया, जब पोस्टमार्टम हाउस में कर्मचारियों ने नीली पन्नी वाले कफन के लिए 500 रुपये मांगे. परिजनों ने अधीक्षक से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार, 500 रुपये देकर शव घर ले जाया गया. वहीं, जेएएच अधीक्षक डॉ. सुधीर सक्सेना ने कहा कि इलाज में लापरवाही और कफन के पैसे मांगने के आरोपों पर विभाग प्रमुखों से जवाब मांगा गया है. लिखित जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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